लॉ कॉलेज को सत्र 2019-20 में शिक्षकों की कमी से जूझना होगा, स्टूडेंट्स को बहुत बड़ा नुकसान

Job News राजस्थान

अजमेर. लॉ कॉलेज को सत्र 2019-20 में शिक्षकों की कमी से जूझना पड़ेगा। दरअसल कॉलेज के दो शिक्षक डेप्यूटेशन पर जयपुर में तैनात हैं। एक शिक्षक ने तबादले के बावजूद कार्यभार ग्रहण नहीं किया है। कार्यवाहक प्राचार्य के आकस्मिक निधन के चलते यहां महज छह शिक्षक ही रह गए हैं।

प्रदेश में वर्ष 2005-06 में 15 लॉ कॉलेज स्थापित हुए। इनमें अजमेर, भीलवाड़ा, सीकर, नागौर, सिरोही, बूंदी, कोटा, झालावाड़ और अन्य कॉलेज शामिल हैं। शुरुआत में लॉ कॉलेजों में विधि शिक्षकों की स्थिति ठीक रही, लेकिन लगातार सेेवानिवृत्तियों के चलते स्थिति बिगड़ती चली गई। इनमें अजमेर का लॉ कॉलेज भी शामिल था। यहां पिछले साल जुलाई तक महज चार शिक्षक ही कार्यरत थे। राजस्थान लोक सेवा आयोग ने विधि शिक्षकों के साक्षात्कार कराए। इसके बाद अगस्त में कॉलेज को तीन नए शिक्षक मिले।

ये हैं कॉलेज के हाल: यूं तो कॉलेज में नौ शिक्षक कार्यरत हैं। इनमें डॉ. सुनील कुमार और अल्का भाटिया जयपुर में पदस्थापित हैं। डॉ. कुमार प्रतिमाह वेतन-भत्ते लॉ कॉलेज से ले रहे हैं। जबकि डॉ. भाटिया ने यहां ज्वाइन ही नहीं किया है। इसी तरह बीकानेर लॉ कॉलेज से व्याख्याता रेखा शर्मा का अजमेर तबादला हुआ, लेकिन उन्होंने कार्यभार नहीं संभाला। इधर प्राचार्य डॉ. डी. के. सिंह का आकस्मिक निधन हो गया है। इसके चलते अब कॉलेज में छह शिक्षक ही रह गए हैं।

फिर आए उसी स्थिति में: 14 साल से बार कौंसिल ऑफ इंडिया से कॉलेज को स्थाई मान्यता नहीं पाई है। इसके पीछे शिक्षकों की कमी सबसे बड़ा कारण रही है। यहां शिक्षकों की संख्या पूरी मिले, इसके चलते सरकार और कॉलेज शिक्षा निदेशालय ने कागजों में दस शिक्षकों की नियुक्ति बताई हुई है। वास्तव में सिर्फ छह शिक्षक ही कक्षाएं ले रहे हैं। यह स्थिति शुरुआत से बनी हुई है।

ये लॉ कॉलेज की परेशानियां….
.-बीते 14 साल से बीसीआई से नहीं मिली स्थाई सम्बद्धता

-प्रतिवर्ष प्रथम वर्ष के दाखिलों में होता है विलम्ब
-वरिष्ठ वकीलों की लेनी पड़ती है सेवाएं

-विधि शिक्षा का पृथक कैडर नहीं होने से स्थाई प्राचार्य नहीं

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *